Wednesday, July 30, 2008

मणिपुर में बच्चों को आंतकी बनाने की घिनौनी कोशिश

राजीव कुमार
देश में मणिपुर ही ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा आंतकी संगठन है।यह चिंता का विषय है।लेकिन अब इससे भी ज्यादा चिंता की बात है कि आंतकी स्कूली बच्चों का अपहरण कर अपने संगठन में भर्ती कर रहे हैं।आंतक के चलते बच्चों का बचपन मणिपुर में पहले से ही छिनता जा रहा था।बच्चों ने अपने हथियार खिलौनों को जलाकर अच्छी शुरुआत की थी।पर अब आंतकियों ने अपने संगठन में भर्ती के लिए इनका अपहरण कर खतरे की घंटी बजा दी है।देश में यह शायद पहला प्रयोग ही माना जाए।
एक मई से अब तक २० बच्चे लापता हुए हैं।आठ स्कूलों के शिक्षक व छात्रों ने अपहरण के खिलाफ राष्ट्रीय राजमार्ग ३९ जाम किया।पर सरकार ने इसे अब तक गंभीरता से नहीं लिया है।सिर्फ पुलिस ने स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का ऐलान किया है।मणिपुर के पुलिस महानिदेशक वाई जयकुमार सिंह ने कहा कि पीपुल्स रिवल्यूशनरी पार्टी आफ कांगलेईपाक(प्रीपाक-वीसी) और प्रीपाक(जीएस)अपने संगठनों में बच्चों की भर्ती कर रहे हैं।कारण इन्हें भर्ती के लिए युवा नहीं मिल रहे हैं।लेकिन प्रीपाक-वीसी के प्रवक्ता ने इन आरोपों का खंडन किया है।
लेकिन आंतकियों के चंगुल से भागकर आए छात्र हुसैन अहमद का कहना है कि मैं जब अपने स्कूल के प्रिंसिपल के घर जा रहा था तब चार लोगों ने मुझे कार में धकेला और अज्ञात स्थान पर ले गए।वहां मुझे बताया गया कि मुझे संगठन में भर्ती किया जाएगा।पर इन्होंने मुझे अपने संगठन का नाम नहीं बताया।सिर्फ लडक़े ही नहीं लड़कियों का भी अपहरण किया जा रहा है।इंफाल पश्चिम की महिला मोहिला देवी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उसकी १६ साल की बेटी निंगोबाम शारदा १३ जुलाई से लापता है।वह कक्षा नौ की छात्रा है।

बच्चों के अपहरण की घटनाओं से अभिभावकों ने इन्हें स्कूल भेजना बंद कर दिया है।सभी अभिभावक चिंतित है कि अगला अपहृत बच्चा उनका भी हो सकता है।इस मसले पर विचार के लिए एक बैठक हुई जिसमें बच्चों ने खुद कहा कि हमें आंतकी मत बनाओ।अनेक बच्चे इनके चंगुल से भागकर भी आए हैं।कक्षा तीन के छात्र ओइनाम अमरजीत का कहना है कि मैं स्कूल नहीं जाना चाहता हूं।मैंने सुना है कि काफी बच्चों का अपहरण कर लिया गया है।मैं किसी आंतकी संगठन में भर्ती नहीं होना चाहता हूं।अमरजीत का सहपाठी पुइम बिरजीत सिंह भी कुछ इस तरह का विचार व्यक्त करता है।
राज्य में कांग्रेस नेतृत्ववाली सेक्यूलर प्रोगेसिव फ्रंट की सरकार है।मुख्यमंत्री पद पर कांग्रेस के ओ इबोबी सिंह काबिज हैं।केंद्र में भी कांग्रेस नेतृत्ववाली सरकार है।फिर भी स्थिति बेहतर करने की कोशिश नहीं हो रही है।राज्य में लगभग चालीस आंतकी संगठन सक्रिय हैं।लेकिन गृह मंत्रालय के अनुसार मुख्य आंतकी संगठनों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी,यूनाईटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट,पीपुल्स रिवल्यूशनरी पार्टी आफ कांगलेईपाक,कांगलेईपाक कम्युनिष्ट पार्टी,कांगलेई याओल कानबा लूप,मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट और रिवल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट शामिल हैं।प्रीपाक के अनेक आंतकी राज्य के बाहर पिछले दिनों गिरफतार हुए हैं।इन सब की भरपाई के लिए संगठन अब बच्चों की भर्ती में लग गया है।
पूर्वोत्तर में बच्चों की आंतकी संगठनों में भर्ती पहली बार दिख रही है। पर असम में प्रतिबंधित आंतकवादी संगठन उल्फा दवारा तोडफ़ोड़ की गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल किए जाने की बात पुलिस कहती रही है।इसके एवज में इन्हें चंद पैसे दे दिए जाते हैं।आंतकवादियों के लिए अब यह आसान तरीका हो गया है।कारण सुरक्षा बल भी बच्चों पर ज्यादा संदेह नहीं करते हैं।पर बच्चों के भविष्य के लिए यह बहुत बड़ा खतरा है।चंद पैसों के लालच में वे यह काम अंजाम दे दें लेकिन आनेवाले समय में इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा।मणिपुर के शिक्षक पी शरत का कहना है कि आंतकी बच्चों को डरा-धमकाकर अपने संगठन में भर्ती कर रहे हैं।यह बच्चे जब बड़े होंगे तो कदापि सामान्य जीवन जी नहीं पाएंगे।

देश का भविष्य बच्चे हैं।इस तरह इनके बचपन को कुचला गया तो आनेवाला समय हमें माफ नहीं करेगा।सरकार को चाहिए कि जो आंतकी इस तरह के कार्य कर रहे हैं उन्हें सखती के साथ कुचला जाए।ज्यादा देर की गई तो समय हाथ से निकल जाएगा।समय रहते कड़ाई की आवश्यकता है।
(लेखक गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर मामलों के जानकार हैं)