Friday, October 3, 2008

विकास से ही खत्म होगा पूर्वोत्तर का आंतकवाद

राजीव कुमार
पूर्वोत्तर में आंतकवाद एक कुटीर उद्योग बन चुका है।पूर्वोत्तर के राज्यों में अनेक आंतकवादी संगठन सक्रिय हैं।इन्होंने आंतकवाद को एक रोजगार बना लिया है।इसके कारण पूर्वोत्तर राज्य बाहर बदनाम है।कोई भी इन इलाकों में निवेश को आना नहीं चाहता।इलाके में निजी निवेश नहीं होगा तो स्थितियां नहीं बदलेगी।कारण सरकार सभी बेरोजगारों को सरकारी नौकरियां नहीं दे सकती।बाहरी निवेश होगा तो बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर पैदा होंगे।इससे ही स्थिति में बदलाव हो सकता है।
पूर्वोत्तर में बेरोजगारी एक भयंकर समस्या है।यह खत्म होने पर ही इलाके में आंतकवाद का नामोनिशान मिटेगा।कारण खाली दिमाग शैतान का घर होता है।बेरोजगारों के दिमाग में जब तक यह शैतान घर करता रहा तब तक स्थिति में सुधार की आशा करना बेकार है।बेरोजगारों को रोजगार मिल गया तो इनका दिमाग खाली नहीं रहेगा और न शैतान घर करेगा।केंद्र सरकार ने अब इस बात को शिद्दत के साथ महसूस किया है।इसलिए पूर्वोत्तर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कोशिशें जारी हैं।
जब देश आजाद नहीं हुआ था तो पूर्वोत्तर की स्थिति देश के अन्य हिस्सों से बहुत अच्छी थी।सकल घरेलू उत्पाद दर सबसे ज्यादा थी।लेकिन अब देश के अन्य राज्यों से यह बहुत पिछड़ा हुआ है।आजादी के बाद देश के अन्य राज्यों का जिस तरह विकास हुआ उस तरह पूर्वोत्तर का नहीं हुआ है।दिल्ली से दूर होने के कारण यह वहां बैठे लोगों के दिलों से भी दूर हो गया।इसलिए यहां लोगों के मन में संकीर्णता पैदा हुई।
मणिपुर की भरोत्तोलक मोनिका देवी को साजिश के तहत बीजिंग ओलंपिक में जाने से रोकने का मामला हो, या असम की बाढ़ की समस्या की अनदेखी कर केंद्र द्वारा बाढ़ प्रभावित बिहार को एक हजार करोड़ रुपए का पैकेज देने की बात हो,इन सबसे पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों में असंतोष बढ़ा ही है।यह लोग अपने को अलग-थलग महसूस करने लगे हैं।यदि बेरोजगारी की समस्या को खत्म कर इस तरह के कार्यों से बचा जाए तो पूर्वोत्तर देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक होगा।
पूर्वोत्तर में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है।यहां साक्षरता दर देश के अन्य राज्यों से अधिक है।इन दोनों के बाद भी इलाका पिछड़ा हुआ है।देश के कुल भौगोलिक इलाके का आठ प्रतिशत ही पूर्वोत्तर है और जनसंख्या में इसका योगदान सिर्फ चार प्रतिशत का है।देश के सकल घरेलू उत्पाद में पूर्वोत्तर का योगदान तीन प्रतिशत का है।प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के दो-तिहाई ही है, जो कि देश में सबसे कम है।इलाके के 35 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 26 प्रतिशत है।पूर्वोत्तर के सत्तर प्रतिशत लोग अपना गुजर-बसर कृषि से करते हैं।इससे साफ हो जाता है कि मैनुफैक्चिरिंग और सर्विस सेक्टर में रोजगार के अवसर न के बराबर है।जहां राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की औसत दर 7.7 प्रतिशत है वहीं पूर्वोत्तर में यह 12 प्रतिशत है।इलाके का शहरीकरण बेहद धीमी गति से हो रहा है।जहां राष्ट्रीय स्तर पर औसत शहरीकरण की दर 28 प्रतिशत है वहीं इलाके की शहरीकरण की दर 15 प्रतिशत है।
परंतु अब केंद्र स्थिति बदलने को आतुर दिखता है।पूर्वोत्तर विकास विभाग के मंत्री मणिशंकर अय्यर और केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री जयराम रमेश पूर्वोत्तर की पूरी स्थिति बदलने के लिए जी-जीन से जुटे हैं।सितबंर के मध्य में गुवाहाटी में हुए चौथे पूर्वोत्तर व्यापार सम्मेलन के बाद लगा कि स्थिति बदलनेवाली है।कारण बाहरी लोगों के मन में पूर्वोत्तर के प्रति धारणा बदल रही है।सम्मेलन में देश-विदेश के 1179 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।इनमें विदेश के 97 प्रतिनिधि शामिल थे।कंबोडिया के वाणिज्य मंत्री के अलावा 12देशों के राजदूत सम्मेल में शिरकत करने पहुंचे।इलाके में विभन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए 247 प्रस्ताव आए।इनमें से 88प्रस्ताव असम में निवेश के लिए थे।असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का कहना था कि अब पूर्वोत्तर की छवि बाहर बदल रही है।पिछले दो सालों में राज्य में तैंतीस हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए हैं।
इन सब से लगता है कि पूर्वोत्तर के दिन अच्छे आनेवाले हैं।नब्बे के दशक में माहौल ऐसा था कि असम से लोग अपनी जमीन-जायदाद बेचकर चले जाने में बेहतरी समझते थे।लेकिन आज यहां जमीन के इतने भाव हो गए हैं कि खरीदना मुश्किल हो गया है।गुवाहाटी और अन्य शहरों में पैसों के बाद भी जमीन खरीदना मुश्किल हुआ है।पहले शाम के बाद सन्नाटा पसरता था तो अब रात में चहल-पहल बढ़ जाती है।लुक-ईस्ट पालिसी के तहत दक्षिण-एशियाई देशों के साथ पूर्वोत्तर का द्वार खुला तो इलाके में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
देश के अन्य हिस्से की बात तो कहना मुश्किल है पर पूर्वोत्तर में विकास के जरिए आंतकवाद का पूरी तरह खात्मा किया जा सकता है।कारण यहां के युवा मेहनती होने के साथ-साथ अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ रखते हैं।इंफोसिस के एन नारायणमूर्ति ने असम का दौरा करते हुए यहां के युवक-युवतियों की इस तरह प्रशंसा करते हुए कहा था कि इलाके के युवक-युवतियां अपने कार्य को ईमानदारी और लगनशीलता के साथ करते हैं और कार्यरत संस्थान के प्रति अपनी निष्ठा को लंबे समय तक बरकरीर रखते हैं।इसलिए इनका सही उपयोग हुआ तो इलाका तरक्की करेगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
(लेखक गुवाहाटी स्थिति पूर्वोत्तर मामलों के जानकार हैं)