Friday, March 4, 2016

असमः बिहार के नतीजे दोहराएगी भाजपा


राजीव कुमार
असम में दो चरणों में 4 और 11 अप्रेल को विधानसभा चुनाव होंगे।चुनाव तिथियों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।अब तक गठबंधन न करने का दम भरनेवाली क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद(अगप)ने भाजपा के साथ ना-ना करते गठबंधन कर ही लिया।भाजपा जिस तरह विभिन्न पार्टियों से गठबंधन कर रही है उससे लगता है कि उसकी खुद की हालत पतली है।पहले वह खुद 84 प्लस सीट जीतने का दम भरती थी।
असम आंदोलन से जन्मी तथा दो बार सरकार बना चुकी अगप की हालत भी राज्य में अच्छी नहीं।राज्य की 126 सीटों में से भाजपा ने 24 सीटें अगप को दी है।राज्य में भाजपा के पांच विधायक हैं वहीं अगप के 2011 के विधानसभा चुनाव में 10 विधायक चुनकर आए थे।अलगापुर के अगप विधायक सहीदुल आलम चौधरी की मौत के बाद वहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने कब्जा जमाया तो अगप के विधायकों की संख्या घटकर 9 हो गई।बाद में अगप के चतिया विधानसभा के विधायक पद्म हजारिका और ढकुवाखाना के विधायक नव कुमार दलै भाजपा में शामिल हो गए।इस तरह अगप के विधायकों की संख्या घटकर सात हो गई।फिर भी अगप के विधायक भाजपा से ज्यादा हैं।लेकिन गठबंधन में भाजपा ने सीटें सिर्फ 24 दी है।इससे अगप की खराब स्थिति स्पष्ट होती है।
कभी भाजपा लोकसभा चुनाव में बिग ब्रदर की और विधानसभा में अगप के बिग ब्रदर होने की बात कहती थी,लेकिन इस बार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गठबंधन का ऐलान करते हुए कहा कि अगप कनिष्ठ सहयोगी होगी।केंद्र में भाजपा नीत राजग की सरकार आने के बाद उसकी नीतियों की अगप खिलाफत करती रही है।लेकिन अब उसी के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरेगी।दोनों के गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों के तृणमूल कर्मी गुस्से में हैं।वैसे भी भाजपा ने जब से कांग्रेस के हिमंत विश्व शर्मा को लिया है,उसके दिन उलटे शुरू हो गए हैं।शर्मा की छवि बेदाग नहीं।जब वे कांग्रेस में थे तो यही भाजपा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाती थी।इसलिए कांग्रेस को भाजपा पर हमला करने का मौका मिल गया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान हिमंत ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा था कि गुजरात के पानी की पाइपों में खून बहता है।इस पर एक भाजपा नेता ने मामला भी किया।लेकिन हिमंत के भाजपा में शामिल होते ही यह मामला उठा लिया।हिमंत की राजनीति पार्टी के बजाए अपने को शक्तिशाली करने की होती है ताकि वे मुख्यमंत्री बन सकें।कांग्रेस में भी उन्होंने यह कोशिश की,लेकिन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की बेदाग और लोकप्रिय छवि के कारण कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें हटाना मंजूर नहीं किया।
उधर सारदा घोटाले में फंसते ही हिमंत ने भाजपा का दामन थाम लिया।हिमंत ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव से संबंध मधुर बनाए और इस तरह अपनी पहुंच अमित शाह तक बना ली। अब भाजपा ने हिमंत को अपने आंखों का तारा बना लिया।अब वे चुनाव परिचालना कमेटी के संयोजक हैं।उन्हीं की कही बातों के अनुसार भाजपा के दिल्ली के शीर्ष नेता चलते हैं,जिन्हें जमीनी सच्चाई पता नहीं।यदि भाजपा कांग्रेस के लोगों को न ले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल को लेकर अकेले दम पर चुनाव लड़ती तो बेहतर स्थिति में आती।हो सकता था कि वह सरकार नहीं बना पाती लेकिन राज्य में उसकी स्थिति बेहतर होती।क्योंकि सर्वानंद सोनोवाल एक बेदाग चेहरा है।लेकिन हिमंत के इशारों पर चलते हुए भाजपा की जड़ें ही कमजोर होगी।बोड़ो पीपुल्स फ्रंट के साथ समझौता बीटीएडी में भाजपा को खत्म कर देगा।भाजपा ने अगप के साथ गठबंधन कर कांग्रेस के हाथ में चुनाव प्रचार के लिए एक बड़ा हथियार सौंप दिया है।यह है गुप्त हत्या का।
जब राज्य में अगप की सरकार थी और केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो राज्य में गुप्त हत्याएं हुई थी।पिछले तीन बार से लगातार कांग्रेस इसे एक बड़ा मुद्दा बनाती आई है।इस बार भी बनाएगी।जनता उस समय को याद कर कांप उठती है।वहीं कांग्रेस की स्थिति इस बार भी बेहतर हो गई है।हिमंत के पार्टी में रहने के दौरान विक्षुब्ध गतिविधियों का दौर था।उनके जाते ही यह थमा।कांग्रेस ने अपनी योजनाओं से लाभार्थियों की संख्या बहुत बनाई है।विकास के भी अनेक कार्य हुए हैं।अशांत असम आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है।इसलिए जनता में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के प्रति आस्था और विश्वास का भाव दिख रहा है।लोग में उनकी छवि एक बेदाग व ऊर्जावान मुख्यमंत्री की है।इन सबके चलते वे चौथी बार बहुमत ले आएं तो भी हैरत की कोई बात नहीं होगी।
बिहार में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हावी रहने और स्थानीय नेतृत्व को तवज्जो न देने के चलते हार हुई।इसके बाद उसने सीख के तौर पर असम में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम का एलान किया,लेकिन सर्वानंद की चलती न के बराबर है।पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस से आए हिमंत के इशारे पर ज्यादा कदम उठा रहे हैं,जो कि बिहार के नतीजों को ही भाजपा के लिए दोहराएंगे।
(लेखक पूर्वोत्तर के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
मोबाइल-9435049660