Friday, August 8, 2008

जीव-जंतुओं पर तो रहम करो शर्मसार करनेवाले राजनेताओं

राजीव कुमार
देश की राजनीति में इस तरह के लोगों की भरमार है, जो राजनेता शब्द को गंदी गाली का दर्जा दिलाने पर आमादा हैं।यदि राजनीति में इस तरह के लोगों की भरमार रही तो आनेवाले दिनों में अच्छे इक्का-दुक्का लोग भी राजनीति में आना बंद कर देंगे।यह देश के लिए सबसे बड़ा नुकसान होगा।
केंद्र की संयुक्त प्रगितशील गठबंधन(संप्रग)सरकार ने जोड़-तोड़ के जरिए संसद में विश्वास-मत हासिल कर लिया।कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जश्न मनाया।इस पर एतराज करने का कुछ नहीं था।कारण देश की राजनीति में अब इस तरह की घटनाएं आम बात हो गई है।लेकिन मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के लांझी विधानसभा सीट के विधायक किशोर समरिते ने जो जश्न इस खुशी में मनाया उस पर आपत्ति स्वाभाविक है।उन्होंने इस खुशी में एक-
दो नहीं कुल 317 जानवरों की बलि चढाई।इसमें 302 बकरियां और 15 भैंस शामिल हैं।समरिते समाजवादी पार्टी के हैं।समरिते के पुजारी रंजीत शर्मा का कहना है कि विधायक ने दशमहाविद्या पूजा की है।यह पूजा 26 से 30 जुलाई तक की गई।
समरिते को इसका जरा भी खेद नहीं है।वे कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर गुवाहाटी के नीलाचल पहाड़ पर स्थित मां कामाख्या में यह बलि चढ़ाने आए।संप्रग सरकार को बहुमत मिलने की कामना पूरी होने के कारण यह बलि चढ़ाई गई है।साथ ही यह भी कामना है कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बने।
समरिते की इस बलि को लेकर असम में भारी विरोध हुआ।पीपुल्स फोर एनिमल्स की पूर्वोत्तर शाखा की अध्यक्ष संगीता गोस्वामी ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि आधुनिक समाज में पुराने क्रूर रीति रिवाजों को मानकर असहाय पशुओं का खून बहाए यह शोभा नहीं देता।संगठन ने प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर इस तरह के पागलपन पर रोक लगाने की मांग की है।पर सत्ता के भूखे राजनेता अपनी सरकार बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं तो इस कार्य को रोकने के लिए कुछ कदम उठाएंगे यह सोचना भी बेकार है।
कामाख्या में समरिते पहले भी बलि चढ़ाते आए हैं।लेकिन इतनी विशाल संख्या में कभी नहीं चढाई गई।समरिते का रिकार्ड भी अच्छा नहीं है।मध्यप्रदेश में समरिते पर हत्या, लूट, अपहरण, धमकाने और सरकारी अधिकारियों के साथ बदसलूकी के लगभग
40 मामले दर्ज हैं।समरिते 19 मार्च 2008 को सुर्खियों में थे जब उन्होंने मध्यप्रदेश में कांग्रेस समर्थित राज्यसभा उम्मीदवार विवेक तांखा को वोट देने के एवज में कांग्रेस द्वारा दस लाख रुपए देने का आरोप लगाया था।अपनी बात के समर्थन में उन्होंने एक गेस्ट हाउस में हजार-हजार रुपयों के बंडलों को प्रदर्शित किया था।विधायक बनने के बाद समरिते ने अपने गृह जिले में एक विशाल भोज आयोजित किया।इसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश भी मौजूद थे।इसमें भी समरिते ने 108 बकरियों की बलि चढ़ाई।
कामाख्या मंदिर में बलि की प्रथा है।पर इतनी बड़ी संख्या में बलि देते आज तक नहीं देखा गया।इस लेखक ने खुद देखा है कि जब समरिते विधायक नहीं थे तब भैसों की बलि चढ़ाने कामाख्या आते थे और यह बलि मुलायम को प्रधानमंत्री बनाने के लिए होती थी।मीडियावालों को वे प्रचार के लिए बुलाते।संगठन बलि का विरोध भी करते।लेकिन इन सब के बीच समरिते का मुख्य ध्यान प्रचार पाने के लिए रहता ताकि मुलायम तक यह बात पहुंचा सके कि उनके लिए वे क्या कर रहे हैं।शायद इस कार्य में वे सफल भी हुए हैं।खुद सपा के विधायक बनने के साथ ही संप्रग के बहुमत पाने पर वे लाखों का खर्च कर इतने पशुओं की बलि जो दे पाएं हैं।समाजवादी पार्टी का इस पर मौन समर्थन है।समर्थन नहीं होता तो विरोध करती।
राजनेता बलि की इस कुप्रथा के खिलाफ होने के बजाए असहाय जीव-जंतुओं की सत्ता में रहने के लिए इस तरह बलि चढ़ाएंगे तो आम जनता को कौन समझाएगा।देश में करोड़ों लोगों को एक समय के लिए दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है।पर समरिते जैसे नेता ने बहुमत मिलने का जश्न मनाने के लिए 317 जंतुओं की हत्या कर उनके खून की होली खेली और लाखों स्वाहा किए।इससे मां कामाख्या कितनी खुश हुई यह तो कोई नहीं जानता।इस रकम से समरिते गरीबों को एक वक्त का खाना खिलाते तो निश्चय ही गरीब उन्हें बहुत दुआ देते।इसे देखा और अनुभव किया जा सकता था।

बहुत हो गया। अब समय आ गया है कि राजनीति से इस तरह के लोग दूर हों।अन्यथा देश का भला नहीं होगा।राजनीति में अब अच्छे लोगों के आने का वक्त आ गया है।यह सामने आएंगे तो जनता इन्हें वोट देकर सत्ता में पहुंचाएगी।सत्ता में इनकी अधिकता होगी तो समरिते जैसे लोग अपने आप किनारा होने या अपने को बदलने को बाध्य हो जाएंगे।देश की बेहतरी के लिए यह होना अब अति आवश्यक हो गया है।नहीं तो हमें डूबने से कोई नहीं बचा सकता।
(लेखक गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर मामलों के जानकार हैं)