Thursday, May 28, 2015

भाजपा के यू-टर्न ले डूबेंगे असम में



राजीव कुमार
असम में अगले साल अप्रेल-मई में विधानसभा चुनाव होंगे।पिछले साल केंद्र की सत्ता में भारी बहुमत से आने के बाद भाजपा असम में भी अपनी सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को असम की 14 में से सात सीटें हासिल हुई थी।उसे लगता है कि वह असम के मुद्दों को भुनाकर सरकार बना लेगी।लेकिन पिछले एक साल में केंद्र की सत्ता में रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने असम में किए गए अपने वायदों पर ही इतने यू-टर्न मारे हैं कि हर कोई हैरत में पड़ गया है।इन यू-टर्नों को देखकर मोदी व उनकी सरकार के प्रति जनता में पहले जैसा जोश नहीं है।इसका फायदा फिर असम में चल रही तरुण गोगोई के नेतृत्ववाली सरकार को मिलने की संभावना है।
मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का एलान किया था।पर भाजपा की लोकप्रियता को गिरते देख उनमें फिर जोश आ गया है।वे कहने में भी संकोच नहीं करते कि वे अब फाइटर मूड में आ गए हैं।लगातार तीन बार सत्ता में आने के बाद वे राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए थे जो सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं।वे 2016 में भी कांग्रेस का नेतृत्व कर सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं।वहीं भाजपा का ग्राफ नीचे खिसक रहा है।भाजपा के पास बेहतर उम्मीदवारों की कमी है।लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने जो वायदे असम की जनता से किए थे उनसे वह पूरी तरह विपरीत स्थिति में चल रही है।उसके इस कदम से मतदाताओं को लगने लगा है कि यह कहती कुछ और है करती कुछ और है।
भाजपा ने बांग्लादेश के साथ भूमि हस्तातंरण मसले पर सबसे बड़ा यू-टर्न लिया।लोकसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी की जनसभा में कहा था कि कांग्रेस के नेतृत्ववाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार ने आपसे पूछकर यह समझौता किया था क्या?हम असम की एक इंच जमीन देने नहीं देंगे।लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी गुवाहाटी आए तो उनके सुर बदल गए।उन्होंने कहा कि असम के फायदे के लिए जो होगा वहीं करेंगे।प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि इससे सीमा विवाद हल हो जाता है तो सीमा पूरी तरह सील करने में मदद मिलेगी।घुसपैठ बंद होगी।यही बात थी तो संप्रग ने जब समझौता किया था तो उसके विरोध में भाजपा क्यों उतरी।सिर्फ वोट की राजनीति के लिए यह किया जाता है क्या?
भाजपा का दूसरा बड़ा यू-टर्न सुवनसिरी पनबिजली परियोजना को लेकर था।लोकसभा चुनाव के दौरान इस परियोजना के खिलाफ आंदोलन कर रहे संगठनों व जनता को आश्वस्त करते हुए भाजपा ने कहा कि हम बड़े बांध के खिलाफ हैं।लेकिन सत्ता में आते ही फिर सुर बदला।कहा,विकास के लिए बिजली जरुरी है।इसे हम हर हाल में करेंगे।यही नहीं असम के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के साथ ही 90:10 के अनुपात से जो राशि मिलती थी उसका पैटर्न भी बदलकर 50:50 कर दिया।विभिन्न केंद्रीय योजनाओं की राशि में कमी की।इन सब का फायदा मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार ले जाएगी।
भाजपा के पास विधानसभा के चुनाव में उतारने के लिए उम्मीदवार नहीं है।इसलिए वह अन्य पार्टियों के फ्लाप हो चुके नेताओं को अपनी पार्टी में ले रही है।कांग्रेस के अनेक विधायक टिकट से वंचित होने पर भाजपा के दरवाजे दस्तक देंगे।पार्टी यदि इन सबके बलबूते पर सरकार में आने की सोच रही है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है।फिलहाल भाजपा अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रियों को असम आने का निर्देश दे चुकी है।खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों को यह निर्देश दिया है।हर समय एक न एक केंद्रीय मंत्री असम में मौजूद रहता है।केंद्रीय मंत्री अपने मंत्रालय के यहां चल रहे कार्यों की समीक्षा करने के साथ ही जाते-जाते गोगोई सरकार पर आरोप लगा जाते हैं कि केंद्रीय राशि का सदुपयोग नहीं हुआ है।यानी चुनाव के पहले आरोप-प्रत्यारोपों की राजनीति हावी है।
भाजपा के आरोपों का जवाब गोगोई देने के साथ ही नई योजनाओं का एलान कर रहे हैं।पुरानी पड़ी बंद योजनाओं को फिर से चालू किया जा रहा है।मतदाताओं को लुभाने की कोशिश चल रही है।गोगोई भी अब भाजपा के आक्रामक प्रचार का उसी के अंदाज में जवाब देना शुरु कर दिया है। इसलिए भाजपा के लिए आनेवाला विधानसभा चुनाव आसान नहीं होगा।भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी सक्षम नजर नहीं आता।अकेले तो वह किसी भी कीमत पर सरकार नहीं बना पाएगी।(लेखक पूर्वोत्तर के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
मोबाइल-9435049660