राजीव कुमार
देश में मणिपुर एक एसा राज्य है जहां चुनी गई सरकार का नहीं,आंतकियों का शासन है।आंतकी जो चाहे कर सकते हैं।मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह की कांग्रेस सरकार इससे निपटने में अपने को लाचार पा रही है।स्थिति इतनी बेकाबू है कि यहां कभी का राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए था।पर केंद्र की कांग्रेस नेतृत्ववाली सरकार अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार को कैसे बर्खास्त कर दे।सो, इबोबी मणिपुर में बने हुए हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार मणिपुर में देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा आंतकी संगठन हैं।इसके बाद असम और जम्मू कश्मीर का नबंर आता है।मणिपुर में 39,असम में 36 और जम्मू कश्मीर में 32 आंतकी संगठन सक्रिय हैं।राज्य में एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार है।फिर भी आंतकी संगठन सरकार के नाक तले अपहरण,रकम वसूली और हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं।
मार्च में 15 हिंदीभाषी मजदूरों की हत्या कर दी गई।सरकारी अधिकारियों का अपहरण कर आंतकी मोटी रकम वसूल कर रहे हैं।सरकारी अधिकारी अपनी जान बचाने आंतकियों को रकम अदा कर रहे हैं।आंतकियों को वे यह रकम गुवाहाटी और कोलकाता में आकर अदा कर रहे हैं।स्थिति बेकाबू होते देख मुख्यसचिव जरनैल सिंह ने फरमान जारी किया कि बिना अनुमति के सरकारी अधिकारी राज्य के बाहर नहीं जा सकते।इस आदेश के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ।कारण अधिकारी सरकार पर भरोसा करने के बजाए आंतकियों पर भरोसा कर अपने को ज्यादा महफूज समझ रहे हैं।
राज्य के हालात नवबंर 2007 के बाद ज्यादा बदतर हुए।मुख्यमंत्री इबोबी के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने विद्रोह किया।मामला कांग्रेस हाईकमान के पास दिल्ली पहुंचा।कुछ समय तक अराजकता की स्थिति बनी रही।आखिरकार हाईकमान ने इबोबी के ही बने रहने पर मुहर लगा दी।इसके बाद से ही स्थिति ज्यादा खराब हुई।राजधानी इंफाल में छह बजे बाद कर्फ्यू जैसा माहौल बन जाता है।
सरकार को जो कार्य करने चाहिए वह आंतकी अंजाम दे रहे हैं।आंतकियों की अपनी अदालतें चलती है।आंतकी भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ कर ले जाते हैं।सजा के तौर हत्या या फिर पैर में गोलियां दाग देते हैं।मणिपुर में हिंदी फिल्मों को दिखाने पर पहले ही पाबंदी लगी हुई है।इसी साल जर्दे पर पाबंदी लगाई गई।लेकिन इसे लागू होता न देख मीठापती पान की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया।आंतकियों का मानना है कि इनके सेवन से राज्य के लोग बीमार हो रहे हैं।आदेश का पालन न करनेवालों को सजा सुनाई गई।
आंतकी सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं है।रीजनल इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेज के निदेशक को नर्सों की नियुक्ति को लेकर धमकाते हैं।निदेशक का तो यहां तक कहना है कि स्वास्थयकर्मियों से रकम वसूली जाती है।दवा विक्रेताओं से भी रकम मांगी गई तो इन्होंने दुकानें बंद कर दी।लोगों को भारी संकट का सामना करना पड़ा।बाद में सरकार ने सुरक्षा का भरोसा दिलाया तो दवा दुकानें खुली।ट्रांसपोर्टरों से भी आंतकियों ने रकम की मांग की।इसके चलते वे हड़ताल पर चले गए।ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि बीस आंतकी संगठन रकम की मांग करते हैं।रकम न देने पर वाहनों को जला देने की धमकी देते हैं।आटोरिक्शावालों से भी तीन सौ से एक हजार रुपए तक की मांग की जाती है।
तंग आकर ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल कर दी तो मणिपुर के मोरे और म्यांमार के नामफालंग में होनेवाला सीमा व्यापार प्रभावित हुआ।स्थिति की गंभीरता को देखते हुए म्यांमार स्थित भारत के राजदूत भास्कर कुमार मित्रा मणिपुर में समीक्षा के लिए आए।आंतकियों का हौसला इतना बढ़ा हुआ है कि वे विधानसभा पर हमला करने के अलावा विधायक पर भी हमला करते हैं।इन सब के बाद भी केंद्र की कांग्रेस नेतृत्ववाली संप्रग सरकार मूक दर्शक बनी हुई है।
मणिपुर में पहले महिलाओं की नृशंस हत्याएं नहीं होती थी।लेकिन मार्च में पांच महिलाओं को नृशंसता के साथ मार दिया गया।स्थिति भयावह देखते हुए थौबाल जिले के ग्रामीणों ने सरकार से हथियार देने की मांग की है ताकि आंतकियों से खुद की रक्षा कर सके।लोगों का सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है।समस्या से निपटने में इबोबी सरकार जिस तरह आगे बढ़ रही है उससे भी सुरक्षा बल संतुष्ट नहीं है।राजनेता और आंतकियों में सांठगांठ है।विधायकों के घर से आंतकी पकड़े जाते हैं।अधिकारी सरकार से खुश नहीं।राज्य के 21 आईपीएस अधिकारी राज्य के बाहर डेपुटेशन पर हैं।मणिपुर आने के साथ ही वे वापस राज्य के बाहर लौट जाना चाहते हैं।इबोबी के करीबी सिंचाई मंत्री बिरेन सिंह का कहना है कि हमें स्थित से मुकाबला करने के लिए अनुभवी लोगों की जरुरत है।पर ये राज्य में सेवा देने को ही इच्छुक नहीं।
राज्य में स्थिति विकराल है।कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है।जंगलराज कायम है।शासन सरकार का नहीं आंतकियों का चल रहा है।कांग्रेस की न होकर कोई दूसरी सरकार होती तो अब तक राष्ट्रपति शासन लग जाता।पर केंद्र की कांग्रेस नेतृत्ववाली सरकार पूर्वोत्तर में कांग्रेस के सिमट रहे जनाधार से वैसे ही चिंतित है।मेघालय भी हाथ से खिसक गया।इबोबी मणिपुर में दूसरी बार लगातार कांग्रेस को सत्ता में लाएं हैं।इसलिए भी वह धृतराष्ट्र की भूमिका में है।लेकिन देश की सुरक्षा के लिए यह अच्छी बात नहीं है।स्थिति से निपटने के लिए तुरंत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर कड़ाई से पेश आने की जरुरत है।(लेखक गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर मामलों के विशेषज्ञ हैं)
लेखक का पता-राजीव कुमार,पोस्ट बाक्स-12,दिसपुर-781005
मोबाइल-9435049660
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