Wednesday, May 28, 2008

ढिलाई का फायदा उठा रहे हैं बांग्लादेशी

राजीव कुमार
जयपुर में हुए बम धमाकों के बाद बांग्लादेशियों को लेकर फिर एक बार देश में बहस छिड़ गई है।लेकिन इस पर सबसे पहले असम में ही चिंता जताई गई थी।बांग्लादेशियों को खदेड़ने के लिए राज्य में छह सालों तक आंदोलन चला।1979 में शुरु हुए असम आंदोलन में विदेशी खदेड़ो ही नारा था।तभी इस समस्या को गंभीरता से लिया जाता तो देश में आज के हालात पैदा नहीं होते।
शुरुआत में असम आंदोलन को मुस्लिम खदेड़ो आंदोलन ही समझा गया।कांग्रेस अपने वोट बैंक के चलते राज्य में एक भी बांग्लादेशी न रहने की बात कहती रही।असम विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय हितेश्वर सैकिया ने 1991 में राज्य में तीस लाख बांग्लादेशी रहने की बात कही।लेकिन जब मुस्लिम नेताओं ने गद्दी से उतारने की धमकी दी तो सैकिया पलट गए।उन्होंने दूसरे दिन ही कहा कि राज्य में एक भी बांग्लादेशी नहीं है।इससे कांग्रेस की दुविधा साफ झलक गई।
असम आंदोलन करनेवाले नेताओं के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 1985 में समझौता हुआ।इस असम समझौते के अनुसार असम-बांग्लादेश सीमा पर कंटीली बाड़ लगाने की बात कही गई।1988 में इसका कार्य शुरु हुआ।लेकिन बीस सालों बाद भी आज तक यह पूरा नहीं हुआ।इससे इस दौरान आई सरकारें मामले के प्रति कितनी गंभीर थी,यह साफ होता है।केंद्र में इस दौरान भाजपा नीत राजग गठबंधन को भी सत्ता मिली और राज्य में असम आंदोलन करनेवाले नेता भी दो बार सत्ता में आए।पर सीमा आज भी पूरी तरह सील नहीं हुई।इसके कारण पूर्वोत्तर के आंतकवादी भी बांग्लादेश में शरण लेकर वहां से यहां होनेवाली गतिविधियों को संचालित करते हैं।
लगातार हो रहे विस्फोटों के बाद अब कांग्रेस यह कहने लगी है कि इनमें बाहरी देश का हाथ है।लेकिन 1979 में जब असम में विदेशी खदेड़ो आंदोलन शुरु हुआ तभी कांग्रेस मुद्दे को गंभीरता से लेती तो आज यह कहने की जरुरत ही नहीं पड़ती।पर उस वक्त उसे वोटों की राजनीति का ख्याल आया।राज्य में रह रहे मुस्लमानों को परेशानी से बचाने के नाम पर विवादित आईएमडीटी एक्ट 1983 में लागू किया गया।देश के किसी राज्य में यह कानून लागू नहीं था।अन्य राज्यों में विदेशी कानून लागू था और है।आईएमडीटी एक्ट लागू होने के बाद राज्य में घुसपैठ कर आए लोगों को खदेड़ना मुश्किल हो गया।
आईएमडीटी एक्ट में प्रावधान था कि शिकायत करनेवाले व्यक्ति को ही यह प्रमाणित करना पड़ेगा कि वह जिस पर आरोप लगा रहा है वह बांग्लादेशी है।इसके चलते शिकायत को कोई आगे नहीं आना चाहता था।इस दिक्कत के चलते राज्य में आईएमडीटी एक्ट को रद्द करने की मांग उठती रही।लेकिन कांग्रेस और भाजपा किसी ने भी इसे खारिज करने के लिए कुछ नहीं किया।आखिर थक हारकर असम आंदोलन करनेवाले छात्र संगठन अखिल असम छात्र संघ(आसू) ने अपने पूर्व अध्यक्ष तथा अगप सांसद सर्वानंद सोनोवाल से सुप्रीम कोर्ट में इसे खारिज कराने के लिए आवेदन किया।लंबी कानूनी लड़ाई से ही आईएमडीटी एक्ट रद्द हुआ।अब देश के अन्य राज्यों की तरह ही असम में विदेशी कानून लागू है।
विदेशी कानून के लागू होने के बाद भी विदेशियों की शिनाख्त में तेजी नहीं आई है।इस कानून के तहत मामलों के निपटान के लिए राज्य में 32 न्यायाधिकरण है।पर पूरी प्रक्रिया इतनी धीमी और ढुलमुल है कि मामले के दौरान ही संदिग्ध लोग अपना ठिकाना बदल लेते हैं।पर जब तक मामला चले संदिग्ध लोगों को ट्रांजिट कैंपों में कड़ी निगरानी के साथ रखा जाना चाहिए।केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने जयपुर बम धमाकों के बाद राजस्थान सरकार को इस तरह का ही सुझाव दिया था।इसके साथ ही भारत के साथ लगी बांग्लादेश की 4,096.7 किमी सीमा को पूरी तरह सील किए जाने की जरुरत है।अन्यथा बांग्लादेशी इधर से प्रवेश कर देश के अन्य राज्यों में जाते रहेंगे।
खुली बांग्लादेश सीमा से प्रवेश करने के बाद यह लोग यहां कुछ समय बिताकर फर्जी कागजात तैयार करवा लेते हैं।इसके बाद यहां से रोजगार की तलाश में देश के अन्य राज्यों में जाते हैं।जब इन पर संदेह किया जाता है तो ये सीमा से लगे असम,त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल का निवासी होने का प्रमाण पत्र दिखा देते हैं।घुसपैठ के जरिए असम और बांग्लादेश के एक हिस्से को वृहतर बांग्लादेश में शामिल करने के षड़यंत्र की बात भी बीच-बीच में सामने आती रहती है।इस षड़यंत्र की बात खुद बांग्लादेश के बुद्धिजीवी कहते हैं।गृहमंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार असम के 36 विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाके में तब्दील हो चुके हैं।
बांग्लादेश के माइनोरिटी ह्यूमन राइटस आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय राज का कहना है कि बांग्लादेश में भारत विरोधी प्रचार काफी है।असम में मुस्लिमों की प्रताड़ना,हत्या और यहां से खदेड़े जाने की बात कही जाती है।उनका कहना है कि बांग्लादेश छोटा देश है।पर इसकी जनसंख्या काफी है।इसलिए वह अपने लोगों की भारत में हो रही घुसपैठ से खुश है ताकि इनके बेहतर भविष्य के लिए इन्हें रोजगार मिल जाए ।बांग्लादेश के पत्रकार व लेखक शहरियार कबीर का कहना है कि बांगालादेश में सक्रिय जेहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी की मदद से असम और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों को लेकर वृहतर बांगालादेश का सपना भी कुछ लोग देख रहे हैं।
इस सबके चलते स्थिति गंभीर है।देरी से माहौल और बिगड़ेगा।केंद्र को तुरंत भारत-बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह सील कर देना चाहिए।संदिग्ध लोगों को पकड़कर उन पर विदेशी न्यायाधिकरणों में मामले चलाने चाहिए और जब तक मामलों का निपटान न हो जाए इन्हें निर्धारित कैंपों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रखा जाना चाहिए।विदेशी प्रमाणित होने के बाद इन्हें वापस इनके देश भेज देना चाहिए।अन्यथा घुसपैठ होती रहेगी।इससे देश की जनसांख्यिकीय स्थिति बिगड़ेगी और देश की सुरक्षा के सामने गंभीर संकट उत्पन्न होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर मामलों के जानकार हैं)

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