Wednesday, June 10, 2015

शाबास इंडिया,शाबास मोदीजी

राजीव कुमार

भारतीय सेना ने म्यांमार के घने जंगलों में प्रवेश कर आतंकियों को मार गिराया है।यह मणिपुर में सेना पर हुए हमले के बदले में की गयी कार्रवाई है।आतंकवाद देश को नुकसान कर रहा है।इसमें कोई संदेह नहीं।वर्ष 2003 में केंद्र में जब भाजपा नीत राजग की सरकार थी तब भी ऐसा ही कड़ा रुख देखा गया था।भूटान में आपरेशन आल क्लीयर चला और भूटान से असम के आतंकियों का सफाया किया गया।अब फिर केंद्र में भाजपा के नेतृत्ववाली सरकार है और कड़ा रुख सामने देखने को आ रहा है।सोशल मीडिया में भी सेना की इस कार्रवाई की जमकर तारीफ हो रही है।
आपरेशन आल क्लीयर के दौरान भारतीय सेना ने भूटानी सेना के साथ मिलकर दक्षिण भूटान में 30 आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया था।इनमें उल्फा के 13,एनडीएफबी के 12 और केएलओ के पांच शिविर थे।तब तत्कालीन सेना प्रमुख एनसी विज ने कहा था कि हमने लगभग 650 आतंकियों को निष्प्रभावी कर दिया है यानी कुछ मारे गए और कुछ पकड़े गए।पकड़े गए कई आज मुख्य़धारा में शामिल होकर सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं।इसके बाद बांग्लादेश के साथ संबंध बेहतर हुए तो वहां रहनेवाले अनेक आतंकी नेताओं को भारत के हवाले किया गया।आज दोनों पड़ोसी देशों में पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों का पहले जैसा जमावड़ा नहीं।पहले तो ये आतंकी असम में बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर सीधे पड़ोसी भूटान या बांग्लादेश की सीमा में जा घुसते थे।पर आज वहां शिविरों के न रहने से इस तरह की घटनाएं न के बराबर हो रही है।
मणिपुर में आतंकी संगठन एनएससीएन(के) ने हमला कर 18 सेना जवानों की नृशंस हत्या कर दी।कारगिल के बाद सेना को सबसे बड़ा झटका था।सभी ने इस आतंकी हमले की निंदा की।कठोर कार्रवाई की बात कही गयी।कठोर कार्रवाई भी हुई।सेना ने आतंकियों को म्यांमार में घुसकर मारा।यह देश की विदेश नीति की सफलता मानी जाएगी।पूर्वोत्तर के अधिकांश आतंकी संगठन भूटान और बांग्लादेश में सफाए के बाद म्यांमार को अपनी शरणस्थली बनाए हुए थे।पर भारत ने अब पड़ोसी देशों के साथ जो संबंध बनाने शुरु किए हैं उससे भूटान में पहले ही,बाद में बांग्लादेश और अब म्यांमार में आतंकियों का सफाया शुरु हो गया।निसंदेह यह राजग सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।पूर्वोत्तर में जो आतंकी गतिविधियां चल रही है उससे विकास के कार्यों को करने में दिक्कत आ रही है।विकास का पैसा आतंकियों के पास चला जाता है।थोड़फोड़ की गतिविधियों को अंजाम देकर ये जानमाल को नुकसान पहुंचाते हैं।यदि आतंकी गतिविधियों को पूरी तरह विराम लग गया तो पूर्वोत्तर देश का एक अहम पर्यटन क्षेत्र होगा।
भारतीय सेना की बदले की कार्रवाई से आतंकियों और आतंक को बढ़ावा देनेवाले देशों को कड़ा संदेश गया है।यदि भारत सरकार इस तरह कड़ा रुख अख्तियार करती रही तो आतंकियों और इन्हें बढ़ावा दे रहे देशों को सोचने को मजबूर होना होगा।म्यांमार में आतंकियों का सफाया होने के बाद पूर्वोत्तर में आतंक खत्म होने के कगार पर होगा।क्योंकि अब भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से सटे देशों के साथ संबंध अच्छे हुए हैं।वे इन आतंकियों को शरण देने से कतराएंगे।यदि किसी ने चोरी-छिपे प्रवेश पा भी लिया है तो वहां भारत की सेना के हमले का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
भारत सरकार सीमाओं को पूरी तरह सुरक्षित करने की कोशिश में लगी है।आज से कुछ साल पहले मैंने अरुणाचल प्रदेश के फांग्सूपास से म्यांमार में प्रवेश किया तो कोई रोकटोक नहीं देखी।घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों को पार करते हुए हम स्टीलवेल सड़क से म्यांमार में प्रविष्ट हुए।काफी अंदर चले गए।इससे वहां की सुरक्षा व्यवस्था का खोखला स्वरुप सामने आता है।लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने भारत से लगनेवाली म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा को चाक-चौबंद करने का फैसला किया है।इस पर सुझाव देने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है।खुली सीमा के कारण आतंकी वहां से आसानी के साथ आते-जाते हैं।साथ ही ड्रग्स व हथियारों की तस्करी होती है।म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा एक्ट ईस्ट पालिसी के लिए भी सुरक्षित होनी जरुरी है।टास्क फोर्स अगले एक महीने में अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप देगी।
केंद्र की मोदी सरकार के इस तरह के कदमों से निश्चय ही पूर्वोत्तर का भला होगा।उन्होंने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि पूर्वोत्तर के आठ राज्य अष्ठलक्ष्मी हैं।सही अर्थों में वे अपने नेतृत्ववाली सरकार के जरिए कार्य कर यह साबित कर दें तो इतिहास के पन्नों में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।पूर्वोत्तर के पास अपार संसाधन हैं,लेकिन आतंकवाद के चलते वह देश के अन्य हिस्सों की तुलना में आगे नहीं बढ़ पाया।पर देर नहीं हुई है।अब भी इसे किया जा सकता है।

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